लेखनी कहानी -17-Oct-2022 गणेशोत्सव (भाग 21
शीर्षक :- गणेश चतुर्थी शीर्षक :- गणेशोत्सव
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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश का जन्म हुआ था । इसलिए उस दिन गणेशजी का जन्मोत्सव मनाया जाता है । जब भाद्रपद माह की चतुर्थी आती है तब भगवान गणेश का जन्मोत्सव विधि-विधान और धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। पूरे भारत में जगह-जगह गणेश जी की मूर्ति की स्थापना की जाती है । इसके बाद नौ दिन तक उनका पूजा पाठ चलता है । अनन्तचौदस के दिन इनका विसर्जन किया जाता है।
बहुत से लोग देड़ दिन ढाई दिन के गणेश की स्थापना करते है। यह त्योहार प्रमुख रूप से महाराष्ट्र में मनाया जाता था। परन्तु अब पूरे भारत वर्ष में बहुत ही श्रद्धा से मनाया जाता है।
गणेश जी के जन्म के बिषय मे निम्न कथा प्रचिलित है :-
गणेश चतुर्थी की कथा के अनुसार,एक बार माता पार्वती ने स्न्नान के लिए जाने से पूर्व अपने शरीर के मैल से एक सुंदर बालक को उत्पन्न किया और उसे गणेश नाम दिया। पार्वतीजी ने उस बालक को आदेश दिया कि वह किसी को भी अंदर न आने दे,ऐसा कहकर पार्वती जी अंदर नहाने चली गई। जब भगवान शिव वहां आए ,तो बालक ने उन्हें अंदर आने से रोका और बोले अन्दर मेरी मां नहा रही है,आप अन्दर नहीं जा सकते। शिवजी ने गणेशजी को बहुत समझाया,कि पार्वती मेरी पत्नी है। पर गणेशजी नहीं माने तब शिवजी को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने गणेशजी की गर्दन अपने त्रिशूल से काट दी और अन्दर चले गये।
जब पार्वती जी ने शिवजी को अन्दर आया देखा तब उनसे पूछा कि आप अन्दर कैसे आ गए। मैं तो बाहर गणेश को बिठाकर आई थी। तब शिवजी ने कहा कि मैंने उसको मार दिया। तब पार्वती जी रौद्र रूप धारण कर लिया और कहा कि जब आप मेरे पुत्र को वापस जीवित करेंगे तब ही मैं यहां से चलूंगी अन्यथा नहीं। शिवजी ने पार्वती जी को मनाने की बहुत कोशिश की पर पार्वती जी नहीं मानी।
पार्वती जी का करुण क्रन्दन सुनकर सारे देवता एकत्रित हो गए सभी ने पार्वतीजी को मनाया पर वे नहीं मानी। तब शिवजी ने विष्णु भगवान से कहा कि किसी ऐसे बच्चे का सिर लेकर आये जिसकी मां अपने बच्चे की तरफ पीठ करके सो रही हो। विष्णुजी ने तुरंत गरूड़ जी को आदेश दिया कि ऐसे बच्चे की खोज करके तुरंत उसकी गर्दन लाई जाए। गरूड़ जी के बहुत खोजने पर एक हथिनी ही ऐसी मिली जो कि अपने बच्चे की तरफ पीठ करके सो रही थी। गरूड़ जी ने तुरंत उस बच्चे का सिर लिया और शिवजी के पास आ गये। शिवजी ने वह सिर गणेश जी के लगाया और गणेश जी को जीव दान दिया,साथ ही यह वरदान भी दिया कि आज से कही भी कोई भी पूजा होगी उसमें गणेशजी की पूजा सर्वप्रथम होगी । इसलिए हम कोई भी कार्य आरम्भ करते है तो उसमें हम सबसे पहले गणेशजी की पूजा करते है।
30 Days Festival Comprtition हेतु रचना।
नरेश शर्मा " पचौरी "
06/11/2022
Palak chopra
07-Nov-2022 03:40 PM
Shandar 🌸🙏
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शताक्षी शर्मा
07-Nov-2022 05:10 AM
Behtarin rachana
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